विश्व में चमत्कारों से भरा देश अगर कोई है तो वह है हमारा भारत. भारत में आधे से ज्यादा चमत्कार तो भारत के मंदिर में ही होते हैं. यहां बहुत ऐसे चमत्कारी मंदिर है जो अपने आप में ही अद्भुत और आश्चर्य का विषय बने हुए हैं. आज हम उन्ही चमत्कारों से भरे मंदिरों में से आपके लिए लाए हैं, “मेहंदीपुर बालाजी का मंदिर” जिसके बारे में आप सुनकर आश्चर्य में पड़ जाएंगे.
भारत में हनुमान जी के लाखों मंदिर है और हर मंदिर अपने आप में बहुत खास है. पर, आज हम जिस हनुमान मंदिर के बारे में बात करने जा रहे हैं, वह राजस्थान के दौसा जिले में स्थित घाटा मेहंदीपुर बालाजी मंदिर हर मायने में अद्भुत है.
अगर किसी को भूत प्रीत में अपने वश में कर रखा है और छुटकारा नहीं मिल पा रहा तो मेहंदीपुर बालाजी का मंदिर इन सब भूत प्रेत बाधाओं से छुटकारा दिलाने का सबसे उत्तम स्थान है. मेहंदीपुर बालाजी को दुष्ट आत्मा से छुटकारा दिलाने के लिए दिव्य शक्ति से प्रेरित हनुमान जी बहुत शक्तिशाली मंदिर माना जाता है. यहां आते ही, आपको ऐसे ऐसे नज़ारे देखेंगे कि आप चौंक जाएंगे.
यहां कई पीड़ित लोगों को जंजीर से बांध कर और उल्टा लटकते हुए आप देख सकते हैं. यह मंदिर और इससे जुड़े चमत्कार देख कर कोई भी हैरान हो सकता है. जब शाम को इस मंदिर में आरती होती है तब भूत प्रेत से पीड़ित लोगों को देखा जाता है.
कहते हैं कि, कई सालों पहले हनुमानजी और प्रेत राजा अरावली पर्वत पर प्रकट हुए थे. भूत प्रेत और काला जादू से ग्रसित लोगों को यहां लाया जाता है और वह सभी बाधाओं से मुक्ति पा लेते हैं. कहते हैं, इस मंदिर को इन पीड़ाओं से मुक्ति का एकमात्र मार्ग माना जाता है. यहाँ के पंडित इन रोगों से मुक्ति पाने का बहुत सारे उपचार बताते हैं.
अगर दिन मंगलवार का हो और शनिवार का हो तो यहां लाखों की संख्या में लोगों को आते हुए देखा जा सकता है. कई गंभीर रोगियों को लोहे की जंजीर में बांधकर इस मंदिर में लाया जाता है. भूत प्रेत से पीड़ित लोगों को इन मंदिर में लाते समय यहां का दृश्य कितना भयानक हो जाता है कि सामान्य लोगों की रूह तक काँप जाती है. ये पीड़ित लोग मंदिर के सामने चिल्ला चिल्ला कर पाने अंदर बैठे बुरी आत्माओं के बारे में बताते हैं. जिसके बारे में इन पीड़ित लोगों को दूर दूर तक कोई वास्ता नहीं होता.
इस मंदिर में भूत और प्रेत बाधाओं के निवारण के लिए यहाँ आने वालों का ताता लगा रहता है. ऐसे पीड़ित लोग बिना तंत्र मंत्र और बिना दवा के स्वस्थ लौटते हैं. बालाजी महाराज के मंदिर में प्रातः और संध्या लगभग 4-4 घंटे पूजा होती है.
अगर इस मंदिर के इतिहास को देखे, तो यह भी जानने को मिलता है कि मुस्लिम शासन काल में कुछ बादशाओ ने मंदिर की मूर्तियों को नष्ट करने का प्रयास किया था. पर, हर बार बादशाह असफल रहे. वे जितना इसको उखाड़ने के लिए जितना खुदवाते गए मूर्ति की जड़ उतनी ही गहरी होती चली गई. अंत में वे थक हार कर अपना यह प्रयास छोड़ दिया.
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कहते हैं, ब्रिटिश शासनकाल के दौरान सन 1910 में बालाजी ने अपना सैकड़ो वर्ष पुराना चोला स्वयं ही त्याग दिया था. फिर भक्तजन इस चोले को लेकर मंडावर स्टेशन पहुंचे, जहां से उन्हें गंगा में प्रवाहित करना था. पर ब्रिटिश राज में ब्रिटिश स्टेशन मास्टर ने चोले को निशुल्क ले जाने से रोका और उसका लगेज (सामान/माल किराया) कराने लगे. लेकिन सबसे ज्यादा हैरत की बात को तब हुई जब चोला कभी ज्यादा बढ़ जाता तो कभी कम हो जाता. यह देखकर स्टेशन मास्टर असमंजस में पड़ गया और अंत में चोले को नमस्कार करके निशुल्क ले जाने को कहा. इसके बाद बालाजी को नया चोला चढ़ाया गया और एक बार फिर से नए चोले से एक नई ज्योति दीपमान हुई.
चलिए आप बात करते हैं – यहां विराजमान मूर्तियों की. बालाजी के अलावा यहाँ श्री प्रेतराज सरकार और श्री कोतवाल कप्तान भैरव की मूर्तियां हैं. प्रेतराज सरकार दंड अधिकारी के पद पर आसीन है, प्रेतराज सरकार के विग्रह पर भी चोला चढ़ाया जाता है.
प्रेतराज सरकार को दुष्ट आत्मा को दंड देने वाले देवता के रुप में पूजा जाता है. भक्ति भाव से उनकी आरती होती है. चालीसा, कीर्तन, भजन आदि किए जाते हैं. बालाजी के सहायक के रूप में ही प्रेतराज सरकार की आराधना की जाती है. प्रेतराज सरकार को पके चावल का भोग लगाया जाता है.
अब बात करते हैं, कोतवाल कप्तान जी की. कोतवाल कप्तान श्री भैरव देव भगवान शिव के अवतार है और शिव की तरह ही भक्ति भाव और थोड़ी सी पूजा से ही प्रसन्न हो जाते हैं. भैरव जी महाराज चतुर्भुजी है, उनके हाथों में त्रिशूल, डमरू, खप्पर तथा प्रजापति ब्रह्मा का पांचवा कटा शीश है. उनकी मूर्तिया पर चमेली के सुगंधित युक्त तिल का तेल में सिंदूर घोलकर चढ़ाया जाता है.
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प्रसाद के रूप में बालाजी को लड्डू, प्रेतराज सरकार को चावल और कोतवाल कप्तान भैरव जी को उरद का प्रसाद चढ़ाया जाता है. इस प्रसाद में से दो लड्डू रोगी को भी खिलाई जाती है. शेष सब पशु-पक्षियों को डाल दिया जाता है. ऐसा कहा जाता है, कि पशु पक्षियों के रूप में देवताओं के दूत ही इस प्रसाद ग्रहण करते हैं.
यहाँ के प्रसाद रूपी लड्डू खाते ही रोगी व्यक्ति झूमने लगता है. भूत प्रेत खुद ही उसके शरीर में चिल्लाने लगते हैं. कभी वह अपना सिर धुनते हैं तो कभी जमीन पर लौटने लगते हैं. यहां का मंजर देख कर आप खुद ही कहेंगे कि पीड़ित लोग यहां आकर अपने आप जैसा करने लगते हैं वैसा करना कोई सामान्य आदमी के बस की बात नहीं है. फिर बाद में पीड़ित व्यक्ति खुद ही बालाजी के शरण में आ जाता है और फिर हमेशा के लिए इस तरह की बाधाओं से मुक्ति पा लेता है.
कुछ लोग आपको कहते हुए मिल जायेंगे कि बालाजी के मंदिर में सिर्फ वही लोगों को जाना चाहिए जो भूत प्रेत बाधाओं से ग्रसित है. लेकिन, ऐसा कदापि नहीं है. भगवान बालाजी सब पर अपनी कृपा बरसाते हैं. कोई भी जो बालाजी के प्रति भक्ति भावना रखता है, वो इन तीनों देवों के आराधना कर सकता है.
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अनेको भक्त देश-विदेशों से बालाजी के दरबार में मात्र प्रसाद चढाने के लिए आते हैं. गीताप्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित हनुमान अंक के अनुसार यह मंदिर करीब 1000 साल पुराना है. यहां पर एक विशाल चट्टान में हनुमान जी की आकृति स्वयं ही उभर आयी थी. इसे ही, श्री हनुमान जी का स्वरुप माना जाता है. इस के चरण में एक छोटी सी कुंडी है, जिसका जल कभी समाप्त नहीं होता. यह मंदिर काफी चमत्कारी और शक्तिशाली माना जाता है. इसलिए यह मंदिर सिर्फ राजस्थान में ही नहीं बल्कि देश विदेशों में भी विख्यात है.
अगर आप भी श्री बालाजी मेहंदीपुर के दर्शन करना चाहते हैं, तो इस मंदिर का एड्रेस (पता) निचे दिया गया है –
Mehandipur Balaji Temple
Agra Dausa Rd, Dausa District,
Mehandipur, Rajasthan 303303
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